एच.बोस
दोस्तों हमारे देश में कई ऐसे महापुरुष हुए हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, लेकिन उनके द्वारा किये गए काम आज भी लोगों के बीच अपनी जगह बनाये हुए हैं। ऐसे ही महापुरुष हैं एच बोस यानी हेमेंद्र मोहन बोस जिन्होंने भारत में रंगीन फोटो ग्राफ़ी की शुरुआत की, और इन्होने ही भारत में सबसे पहले ग्रामोफ़ोन रिकॉर्ड बनाये।
बोस का जन्म 1866 में मयमनसिंह में हुआ था, जहां उनके पिता हरमोहन बोस रहते थे, परिवार का पुश्तैनी घर मयमनसिंह जिले के जयसिद्धि गांव में था। माइकल किन्नर के अनुसार, बोस का जन्म 1864 में उनके पैतृक गांव में हुआ था। आई.ए. पास करने के बाद उन्होंने मेडिकल कॉलेज कोलकाता में प्रवेश लिया। कॉलेज में एक छात्र के रूप में, वह एक दुर्घटना का शिकार हो गये , जहाँ उनकी आँखों में तेजाब से चोट लगी थी। ठीक होने के बाद, उन्होंने अपना मेडिकल करियर छोड़ दिया। 1890 में, बोस ने इत्र के साथ प्रयोग करना शुरू किया, और इस व्यवसाय में अपना कदम रखा।
1894 में, बोस ने कोलकाता के 62 बाजार स्ट्रीट में इत्र निर्माण, एच-बोस परफ्यूमर्स में अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया, जहां उन्होंने इत्र को डिस्टिल्ड किया। प्रारंभिक सफलता के बाद, उन्होंने बालों के तेल और अन्य प्रसाधन सामग्री जैसे लैवेंडर पानी, ईओ डी कोलोन, गुलाब और दूध आदि को अपने उत्पादों की श्रेणी में शामिल किया। उन्होंने कोलकाता में 6 शिब नारायण दास लेन में एक नई निर्माण इकाई भी स्थापित की। उनके उत्पादों में प्रसिद्ध कुंतलिन हेयर ऑयल और दिलख़ुश परफ्यूम शामिल थे।
1900 तक, उन्होंने कोलकाता में 5 शिब नारायण दास लेन में कुंतालिन प्रेस नामक एक प्रिंटिंग प्रेस और प्रकाशन गृह की भी स्थापना की थी। 1903 में उन्होंने युवा लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए कुंतलिन पुरस्कार की स्थापना की । जगदीश चंद्र बोस द्वारा लिखित एक लघु कहानी कुंतलिन पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता थे। बाद में शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के पहले मुद्रित प्रकाशन मंदिरा ने कुंतलिन पुरस्कार जीता।
बोस साइकिल चलाने के शौकीन थे और तो और वो अपने दोस्तों को भी साइकिल चलाना सिखाते थे । 1903 में, उन्होंने अपने भाई जतिन्द्र मोहन बोस के साथ मिलकर हैरिसन रोड पर पहली भारतीय स्वामित्व वाली साइकिल एच. बोस एंड कंपनी-साइकिल कंपनी की स्थापना की। ये कंपनी रोवर साइकिलों की वितरक भी थी। यह उनके स्वदेशी उपक्रमों में से एक था। उन्होंने कार चलाना भी सीखा। 1900 में उन्होंने दो सीटों वाली एक मोटर कार खरीदी और उसे स्वयं चलाते थे। 1903 में उन्होंने फ्रांस से एक सिंगल सिलेंडर मोटर कार और 1905 में एक अन्य 2 सिलेंडर वाली कार को ख़रीदा । वह कलकत्ता, द ग्रेट ईस्टर्न मोटर कंपनी में पहले भारतीय स्वामित्व वाली ऑटोमोबाइल वितरक कंपनी के मालिक थे, और इन्होने एक ब्रिटिश प्रबंधक को नियुक्त किया। इन्होने पार्क स्ट्रीट में एक मरम्मत इकाई, ग्रेट ईस्टर्न मोटर वर्क्स की भी स्थापना की।
इन सब योगदानों को देखते हुए हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि हेमेंद्र मोहन बोस ने भारत देश की तरक्की के लिए कितना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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